वाराणसी, 15 सितंबर। सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर को अवैध कब्जे से मुक्त कराने और गिराए गए भवनों के पुनर्निर्माण के लिए 11 सितंबर 2024 को प्रारंभ 100 दिन का सत्याग्रह आज पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। पांचवें दिन उड़ीसा के बरगढ़ जिले के चूड़ामणि साहु एवं निलेंद्री साहु उपवास पर बैठे। साहु दंपति का गांधी विचार एवं सर्वोदय आंदोलन से गहरा लगाव है। चूड़ामणि साहु उत्कल सर्वोदय मंडल के सचिव के रूप में जिम्मेवारी निभा रहे हैं। पेशे से किसान चूड़ामणि ने पश्चिम ओडिशा में चल रहे किसान आंदोलन में विशिष्ट योगदान दिया है। स्वतंत्रता सेनानी की पारिवारिक पृष्ठभूमि से आनेवाले साहु दंपति ने अपना जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया है। वे समय- समय पर पदयात्राओं का आयोजन कर लोगों में चेतना जगाते रहे हैं।

उपवासकर्ता चूड़ामणि साहु ने कहा कि सर्व सेवा संघ परिसर को गिराने के पीछे सरकार का इरादा गांधी विचार को नष्ट करने का है, परंतु वे अपने मकसद में कभी सफल नहीं होंगे। क्योंकि गांधी विचार इंसानियत का विचार है।

सत्याग्रह में सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं 93 वर्षीय वरिष्‍ठ गांधीवादी विचारक अमरनाथ भाई शामिल हुए। उन्होंने कहा कि आचार्य विनोबा भावे ने इस केंद्र की स्थापना सर्वोदय में अंतर्निहित आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को विकसित करने के लिए किया था। इसीलिए इस केंद्र को साधना केंद्र के रूप में जाना जाता है। अमरनाथ भाई ने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार फासिस्ट की तरह काम कर रही है, ये अपने प्रतिपक्षी को मिटा देना चाहते हैं। साथ ही जोड़ा कि प्रधानमंत्री पद की गरिमा की गिरावट पहले कभी नहीं देखी गई जितनी कि पिछले 10 वर्षों में देखी गई है।

इसके पूर्व चौथे दिन सत्याग्रह में उड़ीसा के रायगढ़ा जिले के गौरांग चरण राउत उपवास पर बैठे हैं। गौरांग चरण राउत सर्वोदय के वरिष्ठ कार्यकर्ता होने के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सक, कवि, लेखक भी है। वे विगत 3 दशकों से उड़ीसा के विभिन्न अंचलों में गांधी विचार का अलख जगाने में लगे हुए हैं। वे वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के मानद जिला संरक्षक हैं। मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे ने भी सत्याग्रह स्थल पर पहुंचकर अपना समर्थन जाहिर किया है।

सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद अंजुम ने बताया गया कि राजघाट परिसर को हड़पने का षड्यंत्र 16 जनवरी 2023 से प्रारंभ होता है। इसी तारीख को मोइनुद्दीन एवं ग्रामवासी की ओर से उप जिलाधिकारी जयदेव सी एस को एक आवेदन दिया गया, जिसमें यह मांग की गई थी कि भू -अभिलेखों में नाम मलिकान कॉलम में त्रुटिवश नॉर्दर्न रेलवे की जगह सर्व सेवा संघ का नाम दर्ज हो गया है। अतः इस त्रुटि को दूर करते हुए सर्व सेवा संघ की जगह नॉर्दर्न रेलवे का नाम अंकित किया जाय। इस आवेदन पर उप जिलाधिकारी ने आनन- फानन में जांच का आदेश दे दिया जबकि आवेदनकर्ता की पहचान भी संदिग्ध है। न तो इसमें कोई पता दिया गया है, न कोई मोबाइल नंबर है और न ही किसी का आधार नंबर। सुनवाई के दरमियान मोइनुद्दीन की गवाही भी नहीं हुई है और न ही उन्हें कभी देखा गया है। एक अज्ञात आवेदनकर्ता के पत्र पर त्वरित कार्रवाई का उद्देश्य सर्व सेवा संघ की जमीन को किसी तरह कब्जा करने के अलावा और कुछ भी नहीं था।

अरविन्द अंजुम ने बताया कि मोइनुद्दीन नामक व्यक्ति की पहचान आज तक नहीं हुई है। सवाल यह भी उठता है कि किसी साधारण व्यक्ति को इस बात से क्या मतलब है कि नॉर्दर्न रेलवे की जगह सर्व सेवा संघ के नाम दर्ज हो गयी है। यह सारी जानकारियां उसने क्यों और कैसे जुटाई ? ग्रामवासी के रूप में भी अन्य किसी भी व्यक्ति का नाम या हस्ताक्षर तक नहीं है। इसलिए सर्व सेवा संघ को यह प्रतीत होता है कि वाराणसी प्रशासन ने अपने षड्यंत्र को अंजाम देने के लिए एक मनगढ़ंत व्यक्ति के रूप में मोइनुद्दीन के नाम का इस्तेमाल किया है।

सत्याग्रह में विशेष रूप से  देवनार कतलखाने को बंद कराने के लिए 15 वर्षो तक चले सत्याग्रह में शामिल रहे 87 वर्षीय अलख भाई, ओडिशा की प्रसिद्ध सर्वोदयी श्रीमती कृष्णा मोहंती, राम धीरज, अरविंद कुशवाह, शुभा प्रेम, मिहिर प्रताप दास, राबिया बेगम, सुरेंद्र नारायण सिंह, अरविंद अंजुम, अंतर्यामी बरल, अशोक भारत नंदलालमास्टर, रवि गुप्ता, जागृति राही, लोक समिति के मंत्री शिवजी सिंह, संपूर्ण क्रांति आंदोलन के ईश्वर चंद्र आदि शामिल हुए।