वन कटाई और अत्याचार के खिलाफ आदिवासियों के हित में लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता माधुरी बहन को किया जिला बदर
BURHANPUR, 8 जुलाई। शु्क्रवार को जिला कलेक्टर, बुरहानपुर द्वारा जागृत आदिवासी दलित संगठन की प्रमुख एवं ख्याननाम सामाजिक कार्यकर्त्ता माधुरी बहन (63 वर्षीय) को एक साल के लिए ज़िला बदर कर दिया। तीन दिन पहले माधुरी बहन ने कलेक्टर न्यायालय में चल रहे प्रकरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मामले में सुनवाई बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बाद शुक्रवार को कलेक्टर भव्या मित्तल ने आदेश जारी कर माधुरी बहन को जिलाबदर कर दिया। उन पर आदिवासियों को जंगल कटाई और अतिक्रमण करने के लिए उकसाने का आरोप है।
उल्लेखनीय है कि कानूनी वन अधिकार लेने और वन विभाग के निरंतर अत्याचार और हिंसा के खिलाफ पिछले 5 वर्षों से एकजुट हुए बुरहानपुर के आदिवासी अपने अधिकार की लड़ाई के साथ-साथ वनों के अवैध कटाई के खिलाफ भी लामबंद हैं। अक्तूबर 2022 से बुरहानपुर जिले में 6 महीनों तक खुले आम चले 15,000 एकड़ से ज़्यादा वनों की कटाई और करोड़ों रूपये की लकड़ी तस्करी के खिलाफ निरंतर शिकायतें और आंदोलन किये गए।
कलेक्टर परिसर में दिया था धरना
माह अप्रैल में कलेक्टर परिसर में हज़ार से ज़्यादा आदिवासी वन कटाई पर रोक की मांग करते हुए धरने पर डटे रहे। आदिवासियों द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देकर अन्य गतिविधियां वहीं खाना बनाना, सोना, लाउड स्पीकर का इस्तेमाल किया जाना इत्यादि गतिविधियां की गई जिससे अशांति का माहौल बना। वन कटाई के खिलाफ इस सशक्त अभियान से बौखला कर अप्रैल-मई से ज़िले के पुलिस और प्रशासन आदिवासी कार्यकर्ताओं को धमकाने, उन्हें फर्जी मामलों में गिरफ्तार करना शुरू किया था और अब उनको कानूनी जानकारी उपलब्ध करने वाली माधुरी बहन को जिला कलेक्टर द्वारा एक साल के लिए बुरहानपुर जिले से जिला बदर किया है। माधुरी बेन पिछले तीन साल से संगठन के साथ जिले में सक्रिय हैं। उन पर कई बार अतिक्रमण कराने के आरोप लगे और कई केस भी दर्ज हुए।
आदिवासियों की जागरूकता से क्यों बौखला रही है सरकार : माधुरी बहन
जागृत आदिवासी दलित संगठन के हरसिंग जमरे, आशा बाई, माधुरी बहन द्वारा बयान जारी करके सवाल उठाया है कि आखिर मुख्यमंत्री आदिवासियों की जागरूकता से इतना क्यों घबरा रहे हैं? ये अपने अधिकारों को समझते हुए अपना जंगल बचाने के लिए संवैधानिक संघर्ष कर रहे आदिवासियों पर मध्य प्रदेश शासन– प्रशासन का यह सबसे ताज़ा हमला है। उन्होंने घोषणा की कि आदिवासियों की सामाजिक एकता, कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के प्रति उनकी जागरूकता पर हो रहे इस हमले से वे दबने वाले नहीं है। कलेक्टर के आदेश के खिलाफ न्यायालय में अपील की जाएगी एवं आम जनता में भी जागरूक आदिवासियों के खिलाफ इस षड्यंत्र को उजागर करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
खुले आम चले वन कटाई पर आँख मूंदने वाला वन विभाग पिछले कई वर्षों से कानूनी वन अधिकार के पात्र आदिवासियों को अवैध रूप से बेदखल करने, उन्हें बंधक बना कर पीटने और झूठे केस में फसाने जैसे अत्याचार निरंतर करता आया है और वन अधिकार कानून को विफल करने का पूरा प्रयास करता आया है। मात्र इस एक ज़िले में लगभग 10,000 दावे लंबित है, जिसके बारे में भी संगठन निरंतर आंदोलन करता आया है।
जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्त्ताओं ने कहा कि इस कटाई के लिए शासन-प्रशासन की निष्क्रियता और मौन सहमति को ज़िम्मेवार ठहराते हुए सार्वजनिक तौर पर आदिवासियों ने कहा था कि इस बड़े पैमाने पर खुले आम वन कटाई, सरकार की सहमति के बिना हो ही नहीं सकती है। गौरतलब है कि बुरहानपुर मध्य प्रदेश के वन मंत्री कुँवर विजय शाह के गृह क्षेत्र का हिस्सा है।
गौर तलब है कि तीन दिन पहले माधुरी बेन ने कलेक्टर न्यायालय में चल रहे प्रकरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। खास बात यह है कि जिला बदर का नोटिस मिलने के बाद माधुरी बहन ने जिला प्रशासन को 188 पेज का जवाब पेश किया था। मामले में सुनवाई बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बाद शुक्रवार को कलेक्टर भव्या मित्तल ने आदेश जारी कर माधुरी बेन को जिलाबदर कर दिया। माधुरी बेन पिछले तीन साल से संगठन के साथ जिले में सक्रिय हैं। उन पर कई बार अतिक्रमण कराने के आरोप लगे और कई केस भी दर्ज हुए।
हाईकोर्ट ने भी माधुरी की याचिका की रद्द
कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण चलने के दौरान माधुरी बहन द्वारा तर्क के लिए दो बार 30 जून, 4 जुलाई को समय मांगा गया। इसी बीच माधुरी बहन द्वारा हाईकोर्ट में याचिका 4 जुलाई को दायर की गई। हाईकोर्ट द्वारा 6 जुलाई को आदेश पारित कर याचिका को निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट के आदेशानुसार यह स्पष्ट कहा गया कि यह कार्यवाही राज्य के हित में की जा रही है। कलेक्टर मित्तल के जारी आदेशानुसार माधुरी बहन को एक वर्ष के लिए 7 जुलाई 2024 तक के लिए बुरहानपुर जिले की सीमा से निष्कासित किया गया है।
72 पेज का निष्कासन आदेश हुआ जारी
माधुरी बेन के जिलाबदर का मामला 15 मई को वन मंडलाधिकारी के प्रतिवेदन प्रस्तुत होने के बाद शुरू हुआ। इसके बाद कलेक्टर न्यायालय में 12 पेशियां हुईं। 21 घंटे तक साक्ष्य परीक्षण चला। 6 घंटे तक माधुरी बेन का प्रतिपरीक्षण हुआ। प्रकरण में 6 सरकारी और 6 गैरसरकारी गवाह प्रस्तुत हुए। इसमें गैर सरकारी गवाह किसान और मजदूर की गवाही अहम रही। गवाहों के बयान के आधार पर यह बात सामने आई कि माधुरी बेन को आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मकोड़िया गाड़ा घाट और गोलखेड़ा में अलग-अलग समय पर एक ही तरह का भाषण देते हुए देखा गया। भाषण में कहा जा रहा था कि वन भूमि पर ट्रैक्टर से बखर कर मकान बनाकर रहो। फॉरेस्ट वाले नौकर हैं। पट्टा हम दिलवाएंगे।
संवैधानिक मूल्यों, इज्ज़त से जीने के हक तथा जल, जंगल, ज़मीन बचाने के लिए जारी रहेगा आंदोलन
जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे हर नागरिक के लिए इज्जत से जिंदगी जीने के संवैधानिक अधिकार को हासिल करने के साथ-साथ जल, जंगल, जमीन की लूट और विनाश का पूरज़ोर विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे हमले, प्रताड़ना और दबाव से जागृत आदिवासी दलित संगठन का अभियान दबने वाला नहीं है, बल्कि और भी ज्यादा ताकत और एकता के साथ संवैधानिक मूल्यों, इज्ज़त से जीने के हक और जल, जंगल, ज़मीन को बचाने के लिए आगे बढ़ेगा।