वन मान्यता अधिनियम को लागू करने के लिए हर जिले में टास्कफोर्स का गठन हो

वन अधिकार कानून को लेकर एकता परिषद का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

भोपाल, 7 दिसंबर । वन मान्यता अधिनियम के लागू होने के 15 वर्षों के बाद भी वंचित आदिवासी समुदाय अपने हक और अधिकार से महरूम है। इन आदिवासियों के वोटों पर राजनीति करने वाले नेताओं द्वारा लगातार घोषणा के बावजूद आदिवासी उत्पीड़न में मध्यप्रदेश के प्रथम आने से सरकार की झूठी घोषणाओं की पोल खुल गई है। एकता परिषद ने भी गांधीवादी तरीके से आंदोलन को तेज करने के लिए 07 और 08 दिसम्बर 2021 को गांधी भवन, भोपाल में वन अधिकार के मुद्दे पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया है। यह सम्मेलन आगे की रणनीति तय करेगा। उक्त उद्गार एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रनसिंह परमार ने कही।

सम्मेलन में सात राज्यों के 145 प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। इन प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए कार्यों के बारे में जानकारी दी।

डॉ. परमार ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार के तमाम टालमटोल के बावजूद 01 जनवरी 2008 को वन अधिकार कानून लागू हुआ। इस कानून में व्यक्तिगत अधिकार, सामूहिक अधिकार, वनोपज का अधिकार और आवासीय भूमि अधिकार का अधिकार मिला परन्तु आज अगर समीक्षा करने पर देखते हैं कि वनाधिकार को प्राप्त करने की रफ्तार बहुत धीमी है। वनाधिकार मान्यता कानून के अंतर्गत आवेदन करने पर 60 प्रतिशत आवेदन निरस्त कर दिये जाते हैं। संगठन की मांग है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 04 दिसम्बर को की गई घोषणा के अनुसार पेसा कानून को लागू किया जाए, वन मान्यता अधिनियम को लागू करने के लिए प्रत्येक जिले में टास्कफोर्स कमेटी का गठन किया जाए। प्रदेश में निरस्त दावों की जांच स्वतंत्र कमेटी से की जाये।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए एकता परिषद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रद्धा बहन ने कहा कि महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। इसलिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले भूमि अधिकार पर महिलाओं का नाम भी जोड़ा जा रहा है, जो अच्छी पहल है।

एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अनीस

एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव श्री रमेश शर्मा ने कहा कि आज शहरीकरण की वजह से तमाम गांव नगरों में तब्दील होकर अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इन गांवों के बचाने व पर्यावरण में सुधार के लिए वृक्षारोपण आज समय की मांग है। लेकिन सरकार के रूख से लगता नहीं है कि सरकार ने पूरी दुनिया के सामने जो जलवायु परिवर्तन में सुधार का आश्वासन दिया है उसके प्रति वह गंभीर है।

सम्मेलन को वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीवान ने संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में चुनाव एक राजनैतिक अवसर होता है। उसका सही इस्तेमाल करके हम सरकार को अपनी मांगों को मानने के लिए बाध्य कर सकते हैं। किसानों ने सरकार द्वारा किए गए बेतहाशा दमन के बावजूद अपनी मांगों पर डटे रहे और आखिरकार सरकार को मजबूर किया कि वे किसान विरोधी काले कानून वापस ले। ऐसी ही एकता हमें बनाने की जरूरत है।

सम्मेलन को युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रांत भूरिया, टास्कफोर्स के सदस्य रहे श्री के.के. सिंह व रोहिणी चतुर्वेदी, एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अनीस सहित तमाम वक्ताओं ने संबोधित किया। सम्मेलन में 08 दिसम्बर 2021 को एकता परिषद के संस्थापक श्री राजगोपाल भी शिरकत करेंगे।

कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रीति तिवारी व डोंगर शर्मा ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रसिद्ध गांधीवादी श्रद्धेय श्री एस.एन. सुब्बराव के चित्र पर माल्यार्पण कर दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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