अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने का माडल छत्तीसगढ़ सरकार पेश करे- राजगोपाल पी. व्ही.
धमतरी। पूरे प्रदेश से आये आदिवासियों ने वनाधिकार, पेसा और पोषण सुरक्षा की प्रमुख मांगों के साथ जंगल सत्याग्रह के सौंवे वर्ष पर आयोजित जनसभा का समापन किया। वनाधिकार और पेसा कानून का प्रभावी क्रियान्वयन आदिवासियों को मजबूत करेगा। अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने का माडल छत्तीसगढ़ सरकार पेश करे। उक्त विचार एकता परिषद के संस्थापक और प्रख्यात सर्वोदयी नेता ने सत्याग्रह के अंतिम दिन आदिवासियों को सम्बोधित करते हुए कहे।
एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने कहा कि आदिवासी जीवन की तीन महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए मांग रखी गयी है। सरकार से निवेदन करेंगे और यदि काम नही हुआ तो आंदोलन भी करेंगे। प्रदेश में जंगल सत्याग्रह का समारोह पांच अलग – अलग हिस्सों में मनाया जायेगा।
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार ने कहा कि इस मांग पत्र को सभी जिलों से आये प्रतिनिधि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधियों, माननीय विधायकगणों को भी सौंपेगे।
एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक रमेश शर्मा ने आयोजन समिति की ओर से तैयार किए गए मांग पत्र को पढ़ा जिसे सभी ने स्वीकार किया। जंगल सत्याग्रह के प्रमुख मांगों में वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत निरस्त किये गये समस्त दावो (व्यक्तिगत व सामुदायिक) का ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के स्तर पर अविलंब सुनवाई प्रांरभ करने, ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के द्वारा स्वीकृत व अनुशंसा किये गये समस्त प्रस्तावों पर (जिनको उपखण्ड व जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के द्वारा अस्वीकृत दावों) अविलम्ब कार्यवाही करते हुए पात्र दावेदारों को वनअधिकार पत्र देने की मांग की गई।
इसके अलावा दावा से छूट गये समस्त दावेदारों के दावा पत्र की ग्राहयता के लिए व्यवस्थित अभियान चलाकर स्वीकार करने और आदिवासी व समस्त वनवासियों पर 30 दिसम्बर 2022 तक पंजीकृत अपराध प्रकरणों को वापस लेने और जब्त की गयी। उनकी समस्त सामग्रियों हल, बक्खर, कुल्हाड़ी इत्यादि को ससम्मान वापस करने, सामुदायिक निस्तार के लिए ग्राम सभा को सामुदायिक वनाधिकार देने, ग्राम सभा के हितों और अधिकारों को ध्यान में रखते हुए पेसा कानून के नियम में संशोधन और सुपोषित छत्तीसगढ़ के गरीब समुदाय की 15 से 49 वर्ष की महिलाओं और बालिकाओं के पोषण सुरक्षा के लिए एक हजार रूपये की पोषण सहायता राशि (मध्यप्रदेश व राजस्थान की तर्ज पर) देने की मांग की गयी है।
जगंल सत्याग्रह के अंतिम दिन प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता गौतम बंदोपाध्याय और मनरेगा के लोकपाल कृष्ण कुमार सिन्हा और स्थानीय विधायक के प्रतिनिधि लखन धुर्वे ने संबोधित किया। आयोजन समिति के सदस्यों और विभिन्न जिलों में वनाधिकार पर सत्याग्रह को नेतृत्व प्रदान करने वाले आदिवासी नेता महिला-पुरूषों को साल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।
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Very nice article. I want to read more about MP status on PESA Act.