13 May ‘World Migratory Bird Day 2023’

प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता को विश्व भर के लोगों को समझाने और उन्हें जागरुक करने के लिए साल में दो बार मई और अक्टूबर के दूसरे शनिवार को World Migratory Bird Day विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है। आज बदलती जलवायु,बढ़ता प्रदूषण,पर्यावरण असंतुलन के हालात पैदा कर रहा है,मानव की लालची प्रवृत्ति ने इन पक्षियों के आवास नष्ट कर दिए,इनका शिकार और इनकी उड़ान में बाधा जैसी विषमताएं उत्पन्न कर डाली,नतीजतन अब इनकी प्रजातियां ही खतरे में है।
संसार में पक्षियों की तमाम प्रजातियां अपनी जरूरतों जैसे भोजन, प्रजनन, आवास, जलवायु व सुरक्षा के कारण हर वर्ष हजारों मील का रास्ता तय कर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जाते हैं, जहाँ उनके जीवन जीने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मौजूद होती हैं। फ़िर एक निश्चित समय के बाद अपने मूल आवासों को वापस लौटते हैं। यह प्रवास 4-5 महीने तक का हो सकता है। प्रवास स्थलों की दूरी सौ मील से लेकर हजारों मील तक हो सकती है। ये पक्षी इतना लम्बा रास्ता तय कर उन्हीं स्थानों पर पहुंचते है, जहाँ वह पिछले वर्ष गये थे, और यह कार्य पक्षी बिना किसी नक्शे व राडार प्रणाली प्रयोग किए बिना करते है| इतनी अधिक दूरी तय कर निश्चित जगहों पर पहुंचना यह साबित करता है कि ये पक्षी ऊर्जावान प्रखर मस्तिष्क वाले होते है।
आज बदलती जलवायु, बढ़ता प्रदूषण, पर्यावरण असंतुलन के हालात पैदा कर रहा है, मानव की लालची प्रवृत्ति ने इन पक्षियों के आवास नष्ट कर दिए, इनका शिकार और इनकी उड़ान में बाधा जैसी विषमताएं उत्पन्न कर डाली, नतीजतन अब इनकी प्रजातियां ही खतरे में है। इन्हीं कारणों के चलते विश्व स्तर पर इन सुन्दर पक्षियों के सरंक्षण के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाने की महत्वपूर्ण मुहिम शुरू हुई।
साल में दो बार मनाया जाता है विश्व प्रवासी पक्षी दिवस World Migratory Bird Day 2023
प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता को विश्व भर के लोगों को समझाने और उन्हें जागरुक करने के लिए साल में दो बार मई और अक्टूबर के दूसरे शनिवार को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की शुरुआत साल 2006 में अफ्रीकन-यूरेशियन वॉटरबर्ड एग्रीमेंट (AEWA) और वन्यजीवों की प्रवासी प्रजाति (CMS) के संरक्षण पर समझौते द्वारा सचिवालय के सहयोग से की गई थी।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 2023 की थीम “जल: सतत पक्षी जीवन”
इस साल 2023 में 17 वां ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ 13 मई 2023 को मनाया जाएगा। इस साल World Migratory Bird Day 2023 विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 2023 की थीम “जल: सतत पक्षी जीवन” (Water: Sustaining Bird Life) है। यह थीम और नारा प्रवासी पक्षियों के लिए पानी के महत्व पर केंद्रित है, जो हमारे ग्रह पर जीवन का मूलभूत आधार है। पिछले साल 2022 में विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की थीम ‘प्रवासी पक्षियों पर प्रकाश प्रदूषण का प्रभाव‘ थी। वर्ष 2022 में अनुमान है कि लगभग एक लाख से अधिक प्रवासी पक्षियों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपना डेरा जमाया था।
17 वर्ष पूर्व 9 अप्रैल 2006 को पहले विश्व प्रवासी पक्षी दिवस के तौर पर अफ़्रीकन-यूरेशियन माइग्रेटरी वाटर बर्ड्स एग्रीमेंट और ग्लोबल कनवेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पेसीज द्वारा मनाया गया था, जिसका विषय था “प्रवासी पक्षियों को अब हमारा सहयोग चाहिए।”
प्रवासी पक्षी प्राकृतिक विरासत का हिस्सा
प्रवासी पक्षी हमारी प्राकृतिक विरासत का हिस्सा होते हैं। प्रवासी पक्षी हमारे और पारिस्थितिक तंत्र दोनों के ही लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। पक्षियों के द्वारा ही फूलों में परागकण प्रक्रिया, बीज फैलाव एवं कीट नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण काम किए जाते हैं। पक्षियों में प्रवास अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया है। जलीय संरचना (वेटलैंड) वाले इन स्थानों पर दूसरे राज्यों और देशों के पक्षी आकर प्रवास करते हैं।

अधिकांश प्रवासी पक्षी ‘सेंट्रल एशियन फ्लाईवे’ और ‘अफ्रीकन-यूरेशियन फ्लाईवे’ से भरते है उड़ान
पक्षी अपेक्षाकृत गर्म इलाकों को अपना बसेरा बनाते हैं और प्रवास के लिए निकलते हैं। जैसे ही मौसम अनुकूल हो जाता है तो लौट जाते हैं। प्रवासी पक्षी के एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास के लिए आवागमन का निश्चित मार्ग होता है। इसे ‘फ्लाईवे’ कहते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचने वाले अधिकतर पक्षी सेंट्रल एशियन फ्लाईवे और अफ्रीकन-यूरेशियन फ्लाईवे से उड़ान भरते हुए भारतीय उपमहाद्वीप पहुंचते हैं। ज्यादातर पक्षी उत्तरी क्षेत्र से दक्षिणी मैदानों की ओर पलायन करते हैं। हालांकि, कुछ पक्षी अफ्रीका के दक्षिणी भागों में प्रजनन करते हैं, और सर्दियों में तटीय जलवायु का आनंद लेने के लिए प्रवास पर मैदानों की ओर निकल पड़ते हैं। अन्य पक्षी सर्दियों के महीनों के दौरान मैदानी क्षेत्र में रहते हैं, और गर्मियों में पहाड़ों की ओर चले जाते हैं।
हजारों किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचते है देशों में
ये प्रवासी पक्षी इन इलाकों में भोजन और रहने की तलाश में पहुंचते हैं। नदियां, समुद्र और पहाड़ों को पार करते हुए हजारों किलोमीटर का सफर तय करके ये भारत पहुंचते है। एक तय समय के बाद ये प्रवासी पक्षी फिर अपने घर वापस लौट जाते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आखिर ये पक्षी ऐसा कैसे कर लेते हैं?
वैज्ञानिकों की शोध बताती है कि धरती का अपना एक चुम्बकीय क्षेत्र होता है। पक्षियों में इस चुम्बकीय क्षेत्र को समझने की खासी क्षमता होती है। प्रवासी पक्षी अपनी क्षमता का ठीक वैसे ही इस्तेमाल करते हैं जैसे इंसान कम्पास का इस्तेमाल करके दिशा को समझता है। नेचर जर्नल में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि पक्षियों की आंखों के रेटीना में ऐसा प्रोटीन होता है जो धरती के चुम्बकीय क्षेत्र के प्रति काफी सेंसेटिव होता है। इस प्रोटीन को ‘क्रिप्टोक्रोम्स’ कहते हैं। इसी प्रोटीन की मदद से उन्हें सिग्नल मिलते हैं और लम्बी से लम्बी दूरी के रास्तों पर चलने के बाद भी वो इसे नहीं भूलते।
जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षियों की संख्या में होने लगी है गिरावट
विडंबना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षियों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। वैसे भी जलवायु परिवर्तन हमेशा जीवों के आवास स्थलों में घातक प्रभाव डालता है, और पक्षियों के प्रवास के समय में भी बदलाव करवा देता है। नतीजतन स्थानीय व प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों के मध्य आवास व भोजन को लेकर टकराव की स्थित उत्पन्न होती है। सर्वे बताते है कि पक्षियों की कुल ज्ञात प्रजातियों 9865 में से 1227 यानी 12.4% प्रजातियां खतरे में हैं, इनमें से वैश्विक स्तर पर 192 पक्षी प्रजातियां अत्यधिक संकटापन्न स्थिति में बताई जा रही हैं। बर्ड लाइफ़ इंटरनेशनल व रेड डाटा बुक के मुताबिक पक्षियॊं की कुल किस्मों में से 19% पक्षी प्रजातियां प्रवासी पक्षियों के अन्तर्गत आती हैं, इनमें 11% प्रजातियां वैश्विक स्तर पर खतरे की सूची में अन्तर्गत रखी गयी हैं। 31 प्रजातियां गंभीर खतरे वाली सूची में हैं।
दुनियाभर के तमाम संगठन प्रवासी पक्षियों के सरंक्षण व सवंर्धन के लिए आगे आ रहे। प्रवासी पक्षी लंबी यात्रा से विभिन्न संस्कृतियों और परिवेशों को जोड़ने का काम करते हैं। भारत की तीन प्रजातियां ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (सोन चिरैया), एशियाई हाथी और बंगाल फ्लोरिकन (बंगाल बस्टर्ड) शामिल है। बंगाल फ्लोरिकन को ‘खरमोर’ नाम से भी जाता है। प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने परियोजना भी बनाई है।
प्रवासी पक्षियों के कई खतरों में से प्रदूषण भी है एक खतरा
प्रवासी पक्षियों को कई खतरों का भी सामना करना पड़ता है, जिसमें मुख्य रूप से प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसके साथ ही,पक्षियों का अवैध शिकार भी एक गंभीर समस्या है। वहीं हर साल बड़ी संख्या में पक्षियों को अपने प्रवास के बीच भुखमरी का सामना भी करना पड़ता है। अपर्याप्त भोजन के कारण अधिकांश पक्षी मौत का शिकार हो जाते हैं। हालांकि, ऐसे में हमें यह समझना जरूरी है कि प्रवासी पक्षी हमारी एक साझा प्राकृतिक विरासत हैं और इनका भी संरक्षण बेहद जरूरी है।